परमात्मा ने जब सृष्टी की रचना प्रारंभ की तो सबसे पहले उसने धरा बनाई और मुस्कुरा दिया
फिर आकाश बनाया और गौरवान्वित हो उठा
काव्य और प्रेम जैसे तत्वों को बनाकर वह खिलखिलाया
गृहस्थी बनाई तो उच्छ्वसित हुआ
संगीत का सृजन किया तो आल्हाद में भरकर स्वयं उसके सम्मुख नत-मस्तक हो गया
और फिर पर्वत, नदी, सागर, निर्झर, वन, मेघ, बरखा, पशु-पक्षी आदि बनाते-बनाते जब वह थक गया तो उसने सुकून के दो पल बनाए, उनको सहेजने के लिए माँ बनाई
फिर सुकून के खूबसूरत पल माँ के हवाले कर, माँ की गोद में सिर रख कर सो गया....
है ना!
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