शुभ रात्रि

रात सदैव रात ही होती है, उसका शुभ और अशुभ होना इस पर निर्भर करता है कि हम दिन भर में कैसे काम करते हैं....

धुन

कुछ गीत बहुत सी धुनों के साथ सुमेलित हो जाते हैं, लेकिन कुछ धुनें किसी गीत के साथ मेल नहीं खाती। लेकिन कोई भी धुन तभी स्मरण में जीवित रहती है जब उसका कोई गीत हो....

रिश्ते में कोई एक....

हर रिश्ते में कोई एक ही ऐसा होता है..... जो दूसरे की ख़ुशी के लिए क़दम-क़दम पर अपनी भावनाओं से समझौता करता है
.....जो उस रिश्ते को बड़ी से बड़ी कीमत पर भी सहेज कर रखना चाहता है
.....जो उस रिश्ते से मिलने वाली एक मुस्कान के लिए हर दर्द को अपनाता है
.....जो उस रिश्ते को दिल कि गहराइयों से महसूस करता है
...... लेकिन यही एक तो उस रिश्ते को ईमानदारी से जी पाता है ना !!!

भावना

भावना यदि पवित्र हो तो शब्द वन्दनीय हो जाते हैं

अकेलापन

अकेलापन दूर करने के लिए यह कतई ज़रूरी नहीं है कि कोई अपना आपके पास हो। यदि कोई दूर होकर भी आपका हाल-चाल पूछ ले तो कई घंटों का अकेलापन दूर हो सकता है। इस एहसास को जीने के बाद ही समझा जा सकता है कि लोग प्रेम-पत्र बार-बार क्यों पढ़ते हैं.....

क्या ज़रूरी है...

यह ज़रूरी नहीं है कि हम अपने हर रिश्ते को हर एक सत्य बतायें, लेकिन यह नितांत आवश्यक है कि रिश्तों में जो कुछ बताया जाये वह पूर्णतया सत्य हो!

मौन

जब हम मौन होते हैं तो लोग हमें सुनने के लिए उत्सुक होने लगते हैं, उनकी यही उत्सुकता हमें कुछ कहने के लिए उकसाती भी है, लेकिन यह भी सत्य है कि मौन के क्षणों में ही लोगों को अधिक स्पष्टता से सुना जा सकता है....

शब्दातीत

अचानक कोई याद आ गया। मन में कुछ पिघला। एक अजीब सी मुस्कान अधरों पर बिखर गयी। नयन-कोर पर दो अश्रुकण अटक कर रह गए और फिर देर तक आंखें बंद कर, दूर बैठे किसी अपने की स्मृतियों में डूब गया मेरा मन। क्या इसी क्षण को शब्दातीत आनंदानुभूति कहते हैं....

इक छोटी सी बात...

पिछले दिनों मैंने एक अनोखा अनुभव किया। मुझे दो मित्रों के परिवारों के साथ उनकी ही गाड़ियों में यात्रा करनी पड़ी। दोनों ही स्थितियों में मेरा परिचय परिवार के मुखिया से ही था। दोनों ही स्थितियों में गाड़ी को मेरा मित्र चला रह था। दोनों ही मित्र कवि है। दोनों ही स्थितियों में मैं यदा-कदा मिलने वाले अतिथि की भूमिका में था। अंतर इतना था कि एक मित्र जो विश्वविद्यालय में प्रवक्ता है, उसकी धर्मपत्नी कामकाजी महिला है, और दूसरा मित्र जो व्यापारी है उसकी धर्मपत्नी गृहिणी है। पहले मित्र ने यात्रा के दौरान अपनी पत्नी को अगली सीट पर अपने साथ बैठाया और दूसरे मित्र ने पत्नी को पिछली सीट पर बैठाकर मुझे अपने साथ बैठाया। यद्यपि दोनों ही मित्रों की आयु और वैवाहिक जीवन की आयु लगभग समान है। क्या मेरा आशय आप समझ सके?

आगे की सुध लेय

किसी भी स्थिति में यदि हम विवाद को टालना चाहें तो उसके तो तरीके हो सकते हैं.....
"भाड़ में जा" या "चल छोड़"
इन दोनों ही वाक्यांशों का एक सकारात्मक प्रभाव यह होता है कि यदि किसी अपेक्षा कि उपेक्षा होने पर इनमें से किसी का भी उच्चारण कर लिया जाये तो घटनाक्रम के घटित होने के पश्चात हमारी ऊर्जा किसी पश्चाताप अथवा शोक में व्यर्थ नहीं होती।
लेकिन इसका निर्णय मनुष्य की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है कि वह इन दोनों में से किस का प्रयोग करना चाहता है। क्योंकि अंतत: स्वयं को घटना के प्रभाव से मुक्त करने के लिए "चल छोड़" बोलना ही पड़ता है। सो बेहतर यही है कि जितनी जल्दी हो सके......
बीती ताहि बिसार के आगे की सुध लेय