जब हम मौन होते हैं तो लोग हमें सुनने के लिए उत्सुक होने लगते हैं, उनकी यही उत्सुकता हमें कुछ कहने के लिए उकसाती भी है, लेकिन यह भी सत्य है कि मौन के क्षणों में ही लोगों को अधिक स्पष्टता से सुना जा सकता है....
कम्प्यूटर की स्क्रीन पर झांकते हुए अचानक यदि इस पृष्ठ ने आपके दिल के भीतर सोई संवेदना की वीणा के तार छेड़ दिए हों या फिर इस वेबसाईट के किसी पृष्ठ की कोई पंक्ति आपको छू कर गुज़र गई हो तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया मुझे प्रेषित करें "प्रतिपुष्टि सृजन को बेहतर बनाती है" mail@chiragjain.com
No comments:
Post a Comment