पिछले दिनों मैंने एक अनोखा अनुभव किया। मुझे दो मित्रों के परिवारों के साथ उनकी ही गाड़ियों में यात्रा करनी पड़ी। दोनों ही स्थितियों में मेरा परिचय परिवार के मुखिया से ही था। दोनों ही स्थितियों में गाड़ी को मेरा मित्र चला रह था। दोनों ही मित्र कवि है। दोनों ही स्थितियों में मैं यदा-कदा मिलने वाले अतिथि की भूमिका में था। अंतर इतना था कि एक मित्र जो विश्वविद्यालय में प्रवक्ता है, उसकी धर्मपत्नी कामकाजी महिला है, और दूसरा मित्र जो व्यापारी है उसकी धर्मपत्नी गृहिणी है। पहले मित्र ने यात्रा के दौरान अपनी पत्नी को अगली सीट पर अपने साथ बैठाया और दूसरे मित्र ने पत्नी को पिछली सीट पर बैठाकर मुझे अपने साथ बैठाया। यद्यपि दोनों ही मित्रों की आयु और वैवाहिक जीवन की आयु लगभग समान है। क्या मेरा आशय आप समझ सके?
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