कमियाँ कहाँ हैं...
हमारी दृष्टि और हमारा स्वभाव यह तय करता है कि बाह्य तत्व हम पर क्या प्रभाव डालें। इसलिए बेहतर यही है कि यदि कहीं कुछ अखरने लगे तो कमियाँ बाहर न टटोली जाएँ। स्वयं को बदलना ही सबसे बेहतर और सटीक उपाय है। यहाँ ये बात विशेष रुप से ध्यातव्य है कि जो धूप बर्फ़ को गलाने की दोषी कही जाती है, उसी का प्रयोग कर कुम्हार अपने बर्तनों को सख्त करता है। सो, धूप को दोष देने से बेहतर है, हम यह निर्धारित करें कि हम बर्फ़ हैं या गीली मिट्टी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment