बदला कौन?
हम मानें या न मानें लेकिन ये सच है कि हर रिश्ते में एक आकांक्षा हमेशा मौजूद रहती है। हम जब भी किसी की खुशी के लिए कोई परेशानी झेलते हैं, तो महानता का एक अनकहा सा भाव हमारी आंखों में उतर आता है। और फिर बिना सामने वाले को बताये हम ये अपेक्षा रखने लगते हैं की उसे हमारे इस उपकार की क़द्र करनी चाहिए। मज़े की बात ये है की जब ये सब घटित हो रहा होता है तो हमें स्वयं भी इस बात का एहसास नहीं होता कि हम सामने वाले के प्रति ये पूर्वाग्रह पाल चुके हैं कि वह स्वार्थी है। जब तक हमें इस पूरे घटनाक्रम का आभास होता है तब तक सामने वाला हमसे अलग हो चुका होता है। और कई बार तो अलग होने के बाद भी हम इस पूरे घटनाक्रम को समझ नहीं पाते और ख़ुद से पूछने लगते हैं कि आख़िर वो मुझसे बदला क्यों! है ना !
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1 comment:
Bahut Acchi Bata Hai. Jindgi me Ese Bahut Se Anubhav Hote hai.
Ek Acchi Bat ko Pesh kiya hai.
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