अपनत्व के कुछ अजीब से अधिकार होते हैं, जिन्हें साधारण बुद्धि के लोग हठ समझ लेते हैं। किन्तु वास्तव में ये अधिकार ही संबंधों की प्रगाढ़ता के मापदंड होते हैं।
कम्प्यूटर की स्क्रीन पर झांकते हुए अचानक यदि इस पृष्ठ ने आपके दिल के भीतर सोई संवेदना की वीणा के तार छेड़ दिए हों या फिर इस वेबसाईट के किसी पृष्ठ की कोई पंक्ति आपको छू कर गुज़र गई हो तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया मुझे प्रेषित करें "प्रतिपुष्टि सृजन को बेहतर बनाती है" mail@chiragjain.com
2 comments:
सत्य वचन.
वास्तव में आपने जो कहा वह सही है।
Post a Comment