शब्दातीत

अचानक कोई याद आ गया। मन में कुछ पिघला। एक अजीब सी मुस्कान अधरों पर बिखर गयी। नयन-कोर पर दो अश्रुकण अटक कर रह गए और फिर देर तक आंखें बंद कर, दूर बैठे किसी अपने की स्मृतियों में डूब गया मेरा मन। क्या इसी क्षण को शब्दातीत आनंदानुभूति कहते हैं....

4 comments:

Manas Path said...

क्या पढें . फ़ांट ही नही दीख रहा है.

अतुल

Manas Path said...

क्या पढें . फ़ांट ही नही दीख रहा है.

अतुल

Udan Tashtari said...

शब्दातीत आनंदानुभूति --हाँ, शायद यही कहते हैं. बड़े गहरे भाव हैं.

परमजीत सिहँ बाली said...

जी, बिल्कुल सही।