आगे की सुध लेय

किसी भी स्थिति में यदि हम विवाद को टालना चाहें तो उसके तो तरीके हो सकते हैं.....
"भाड़ में जा" या "चल छोड़"
इन दोनों ही वाक्यांशों का एक सकारात्मक प्रभाव यह होता है कि यदि किसी अपेक्षा कि उपेक्षा होने पर इनमें से किसी का भी उच्चारण कर लिया जाये तो घटनाक्रम के घटित होने के पश्चात हमारी ऊर्जा किसी पश्चाताप अथवा शोक में व्यर्थ नहीं होती।
लेकिन इसका निर्णय मनुष्य की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है कि वह इन दोनों में से किस का प्रयोग करना चाहता है। क्योंकि अंतत: स्वयं को घटना के प्रभाव से मुक्त करने के लिए "चल छोड़" बोलना ही पड़ता है। सो बेहतर यही है कि जितनी जल्दी हो सके......
बीती ताहि बिसार के आगे की सुध लेय

5 comments:

Ashish Maharishi said...

अरे आपने तो बस शुरू किया और खत्म भी कर दिया...

Udan Tashtari said...

इतना छोटा आलेख, हम्म!!!! चलो छोड़!!!

--बिल्कुल सही सीख!

अनिल रघुराज said...

सीख तो अच्छी है।

परमजीत सिहँ बाली said...

चलो छोडों...छोटा लेख है पर बात पते की लिखी है।

Sagar Chand Nahar said...

सत्य वचन
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल