सुविचारों का एक पूरा संकलन भी तब तक अधूरा है जा तक उनको अमल में न लाया जाए। गीता की सफलता इसी बात पर निर्भर है की उसके श्रवण के पश्चात कोई अर्जुन गांडीव उठाकर युद्ध करता है या नहीं।
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